क्या Obc शूद्र है
मैंने कुछ महामुर्ख लोग देखे है जो अपनी एक नयी फ़र्ज़ी थ्योरी के साथ जी रहे है की OBC शुद्र होता है तो उन गधों को ये पता होना चाहिए की OBC का मतलब "अन्य पिछड़ी जातियां " होता है और OBC सभी धर्मो के लोगो में होते है....
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Note-भारत में जितने भी धर्म है उनकी सारी जातियों को General , obc , sc-st categories में बांटा गया है..इसलिए किसी के बहकावे में ना आइये विस्वास ना हो तो खुद पता कर लीजिये...
ये कुछ ब्राह्मण जातियाँ है जिन्हे OBC में शामिल किया गया है
Daivadnya Brahmins
Shaiva Brahmin
Bhargav Dakaut or Joshi Brahmins
Kattaha Brahmins
VishwaBrahmins
Jangid Brahmins
Saurashtra Brahmins
Sthanika Brahmins
Goswami Brahmins
Rudraja Brahmins
Manipuri Brahmins
Rajapur Saraswat Brahmins
Vaishnav Brahmins (Swami, Bairagi, Nayak, Raina, Bawa,)
मुस्लिमो में OBC जातियों की जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें-https://en.wikipedia.org/
वैसे भी शूद्र होना कोई गलत बात नहीं है क्यूंकि मनुस्मृती के अनुसार शूद्र भी आर्य(श्रेष्ठ ) है जन्म से हर व्यक्ति शूद्र होता है..बाद में कर्म के अनुसार अन्य वर्ण को धारण करता है
=>मनुस्मृति के एक श्लोक में कहा है-
शूद्रेण हि समस्तावद् यावत् वेदे न जायते। (2.172)
अर्थात्-‘जब तक कोई वेदाध्ययन नहीं करता तब तक वह शूद्र के समान है, चाहे किसी भी कुल में उत्पन्न हुआ हो।’
=>‘‘जन्मना जायते शूद्रः संस्काराद् द्विज उच्यते।’’
(स्कन्दपुराण, नागरखण्ड 239.31)
अर्थात्-प्रत्येक बालक, चाहे किसी भी कुल में उत्पन्न हुआ हो, जन्म से शूद्र ही होता है। उपनयन संस्कार में दीक्षित होकर विद्याध्ययन करने के बाद ही द्विज बनता है।
महर्षि मनु ने श्लोक 10.4 में शूद्रवर्ण के लिए अन्य एक शद का प्रयोग किया है जो अत्यन्त महत्त्वपूर्ण और सटीक है, वह है- ‘एकजातिः’। यह शूद्रवर्ण की सारी पृष्ठभूमि और यथार्थ को स्पष्ट कर देता है। ‘एकजाति वर्ण’ या व्यक्ति वह कहाता है जिसका केवल एक ही जन्म माता-पिता से हुआ है, दूसरा विद्याजन्म नहीं हुआ। अर्थात् जो विधिवत् शिक्षा ग्रहण नहीं करता और अशिक्षित या अल्पशिक्षित रह जाता है। इस कारण उस वर्ण या व्यक्ति को ‘शूद्र’ कहा जाता है।
कर्मों के अनुसार-
=>शूद्रो ब्राह्मणतामेति ब्राह्मणश्चैति शूद्रताम।
क्षत्रियाज्जातमेवं तु विद्याद्वैश्यात्तथैव च। - (मनुस्मृति-10.65)
अर्थात- कर्म के अनुसार ब्राह्मण शूद्रता को प्राप्त हो जाता है और शूद्र ब्राह्मणत्व को। इसी प्रकार क्षत्रिय और वैश्य से उत्पन्न संतान भी अन्य वर्णों को प्राप्त हो जाया करती हैं।
Reference -
1-Wikipedia
2-स्कन्दपुराण
3-मनुस्मृति