Theatre Artists In Patna
जो घर जारै आपना
परदेशी राम वर्मा की मुल कहानी पकड़ पर आधारित है जिसका नाट्य रूपांतरण दिपक कुमार बंधु (राष्ट्रीय नाटक अकादमी) के द्वारा किया गया है। मुलरूप से यह नाटक नारी सशक्तिकरण का जीता-जागता उदाहरण है, जिसमें लड़की परेम की जीवन व्यथा है, जिसकी माँ के मरणोपरांत् उसका बाप दुसरी शादी कर लेता है। सौतेली माँ परेम से पीछा कर छुड़ाने के लिए उसकी शादी मुकुंद से करा देती है। मुकुंद जो कि एक निक्म्मा है अपनी माँ के साथ मिलकर परेम पर जुल्म करता है। दिन भर दुकान लगाकर परेम चार पैसे भी कमाती है परंतु घर लौटने पर प्रतिदिन कसास और मुकुंद उसपर तरह-तरह का लांक्षण लगाते है। इससे आजिज होकर परेम एक दिन अपना ससुराल छोड़ देती है। परंतु अब मायके और ससुराल दोनों से बाहर परेम की जिंदगी सड़क पर आ जाती है। इधर गाँव का ही एक दबंग तमेर ताऊ परेम को अकेला पाकर उसपर बुरी नजर रखने लगा। एक दिन मौका पाकर वह परेम को उपनी रानी बनाकर रखने का प्रस्ताव देता है। तमेर की गंदी नियत भांप कर परेम उसे कड़वा जबाव देती है।
कहते हैं न जब सभी रास्ते बंद होते हैं तो एक रास्ता जरूर खुल जाता है। ऐसा ही कुछ होता है परेम की जिंदगी में भी। परेम की जिंदगी में एक नवयुवक खोरू का प्रवेश होता है। गाँव के बाजार में खोरु और परेम आस-पास ही अपनी दुकान लगाते थे। परंतु खोरू के मन में आजतक परेम के लिए वह भावना नहीं आयी जो आज परेम की व्यथा सुनकर आयी। खोरू के मन में एक नारी के लिए प्रेम और उसे सुरक्षा देने की भावना जाग गयी। धीरे-धीरे परेम और खोरू पास आने लगे। परेम और खोरू की नजदीकियाँ तमेर ताऊ को नागवार लगीं और वह खोरू को परेम से दूर रहने का फरमान सुनाता है। खोरू सारी बातें परेम को बताता है और उसके सामने विवाह का प्रस्ताव रखता है। डूबते को जैसे किनारा मिल गया हो- परेम खोरू का प्रस्ताव स्वीकार करती है और दोनों शादी कर लेते है।
इस विवाह की जानकारी से तमेर ताऊ जल-भुन जाता है और परेम से बदला लेना चाहता है। कहतें है न कि आदमी नारी से बदला लेने के लिए उससे व्यभिचार करता है- अब तमेर परेम की इज्जत से खेलने के लिए तत्पर हो उठा। एक दिन खोरू की अनुपस्थित में वह परेम से मिलने उसके घर जाता है परंतु परेम बिना मिले ही घर के अंदर से ही उसे खरी-खोटी सुनाता है। अब बौखलाया तमेर एक दिन खेत में परेम की इज्जत पर हमला करता है परंतु आत्म-सम्मान से लवरेज परेम उसे थप्प़ड मार कर भगा देती है।
खोरू जब यह सब सुनता है तो उसे बहूत क्रोध आता है और वह परेम के साथ मिलकर पूरे गाँव को तमेर ताउ के आतंक से छूड़ाने की रणनीति बनाते है। कुल मिलाकर नारी के आत्म-सम्मान, हौसले और स्वतंत्र विचार की कहानी है जौ घर जारै आपना