Right To Education: A Difficult Scene
Updated on 30 December, 2011
पिक्षले वर्ष इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था और निजी विद्यालय, विद्यार्थी और उनके अभिभावक सरकार के इस फैसले के खिलाफ खड़े हो गए थे। उनका तर्क था कि इससे संभ्रांत परिवार के बच्चों पर बुरा प्रभाव पडेंगा। परंतु उच्चतम न्यायालय में केस के चलते रहने के बावजूद निजी विद्यालय इस बर्ष कोई झंझट मोल नहीं लेना चाहते। बिहार पब्लिक स्कूल एण्ड चिल्ड्रेन वेलफेयर ऐसोसिएशन के अध्यक्ष डा. डी.के.सिंह ने बताया कि निजी विद्यालयों ने एक बैठक कर यह निर्णय लिया है कि बर्ष 2012 में नर्सरी और पहली कक्षा के विद्यार्थियों को सरकारी निर्देशानुसार 25 प्रतिशत आरक्षण दिया जायेगा। आरक्षित सीटों पर स्थानीय बच्चों को प्राथमिकता दी जायेगी। इन सीटों के आवंटन पूरा होते ही सरकार को इसकी सूचना कर दी जायेगी। ज्ञातत्व है कि उच्चतम न्यायालय ने इस संदर्भ में जारी विवाद में अपना फैसला जनवरी 2012 के लिए सुरक्षित रखा है। वैसे संभावना है कि न्यायालय का फैसला आरक्षण के पक्ष में होगा, लेकिन फिर भी अगर फैसला निजी विद्यालयों के हक में जाता है तो आरक्षण और संबधित दाखिला को निजी विद्यालय रद्ध कर देंगे। जहाँ एक तरफ शिक्षा के अधिकार के तहत लिए गए इस फैसले से निजी विद्यालयों के कार्य-कलाप, पठन-पाठन और संस्कृति पर अत्यधिक प्रभाव पड़ेगा वहीं आरक्षित वर्ग के बच्चों के लिए भी प्राकृतिक रूप से असहज होगा एवं वे हीन भावना के शिकार हो सकते हैं।