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Dr. Kalam Dejected Over Nalanda Univ. Development

Updated on 13 September, 2011
पटना, १३ सितम्बर, नालंदा अंतरास्ट्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति की  नियुक्ति से जुदा विवाद उस समय और गहरा हो गया जब संसथान के मेंटर ग्रुप से पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अबुल कलाम आज़ाद ने इस्तीफा दे दिया. उन्होंने खुद को विश्वविद्यालय के सभी कार्यकलापों से खुद को अलग करने की घोषणा कर दी है. गोपा सबरवाल(वर्तमान कुलपति)  की नियुक्ति पर आपत्ति करने वालों का तर्क है की वे लेडी श्री राम कालज  में मात्र रीडर रहीं हैं. ऐसे में एक अंतरास्ट्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर उनकी नियुक्ति अनूचित है. ज्ञातत्व है की नालंदा अंतरास्ट्रीय विश्वविद्यालय की परिकल्पना डॉ. कलाम का ही सपना है जिसपर ग्रहण लगता नज़र आ रह है. वैसे केंद्रीय विश्वविद्यालय होने के कारण न्युक्ति से लेकर प्रबंधन और सञ्चालन के लिए केंद्र सरकार ही जिम्मेदार है. बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार के दिलचस्पी के कारण ही बिहार में इस प्रकार की विश्वविद्यालय की स्थापना हो पाई है. बतातें चलें की  भारत के किसी राज्य में इतना वृहद् अंतरास्ट्रीय विश्वविद्यालय नहीं है. केंद्र के गैर-जिम्मेदाराना रुख के कारण ही विवादों में फंसने से विश्वविद्यालय के गरिमा को आघात लगा है. पर वक़्त रहते उचित प्रसासनिक कदम से गिरती छवि को बचाया जा सकता है. राज्य सरकार की और से भूमि की उपलब्धता की गयी है. बिहार सरकार ने बिजली पानी और अन्य संरचनात्मक तत्त्व उपलब्ध कराई गयी है. मेंटर ग्रुप विश्वविद्यालय संचालन के लिए जिम्मेदार है जो की सीधे तौर पर केंद्रीय नियमों और संस्थाओं के अधीन है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घटना पर छोभ प्रकट किया है एवं केंद्र को विश्वविद्यालय संचालन को अधिकाधिक पारदर्शी  बनाने की आवशयकता पर बल दिया है. 
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